उनके द्वारा निर्देश दिया गया कि जिले में स्ट्रीट चिल्ड्रन के हॉट स्पॉट का चिन्हांकन कर इनका सघन सर्वे कराया जाए। जो भी बच्चे ऐसी परिस्थिति में पाए जाते हैं, उन्हें बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर उनका समुचित पुनर्वास कराया जाए। ऐसे बच्चों की जानकारी आयोग के बाल स्वराज पोर्टल पर अनिवार्यत: अपलोड की जाए। इन बच्चों व उनके परिवारों को शासन की 34 विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाए। यथासंभव ऐसे स्ट्रीट चिल्ड्रन को खुला आश्रय गृह, बाल गृह, शासकीय विद्यालय में प्रवेश कराया जाए।
बच्चों को मादक पदार्थों से बचाने के लिये जिला स्तर पर एक संयुक्त कार्ययोजना बनाई जाए, जिसमें विभिन्न विभागों के द्वारा अपने कार्य दायित्व पूरे किए जाएं। शिक्षण संस्थाओं के 100 मीटर के दायरे में मादक पदार्थों की बिक्री प्रतिबंध के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाए तथा दवाओं की दुकान पर बच्चों को प्रतिबंधित दवाओं को बेचने पर रोक लगाई जाए। यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को मादक पदार्थ विक्रय के लिए मजबूर करता है तो उसके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई की जाए।