निर्जला एकादशी दो जून को

  ग्वालियर। निर्जला एकादशी व्रत 2 जून को रखा जाएगा। हर साल यह व्रत ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा के साथ यह व्रत करता है उसे समस्त एकादशी व्रत से मिलने वाले पुण्यफल के समान ही फल मिलता है। शास्त्रों में निर्जला एकादशी को लेकर यह वर्णन मिलता है कि इस व्रत का महत्व महर्षि वेदव्यास जी ने भीम को बताया था। अतः इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 


इस व्रत को करने से व्यक्ति को समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। उसके सभी प्रकार के पाप धुल जाते हैं। यह व्रत निर्जल रखा जाता है यानि व्रती को बिना पानी का सेवन किए रहना होता है। ज्येष्ठ माह में बिना पानी के रहना बहुत बड़ी बात होती है। इस कारण यह व्रत काफी कठिन माना जाता है। यह व्रत एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय से लेकर द्वादशी के दिन व्रत पारण मुहूर्त तक रखा जाता है।